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Sunday, February 5, 2023

निश्चित ना

तने हुए सौ सौ सैन , अन्दर तक ताकते “नैन " मिलेंगे !
ऊंचें सुर साथ, चैताते से जाने, कैसे कैसे, कौन मिलेंगें ?
किसने कहा नहीं पड़ेगा, "हाँ "  का भी बोझा उठाना !
हाँ,  यदि ना मानें मन , तू निश्चित "ना " ही कर जाना !
 
भ्रम हैं, तेरी "हाँ " पर कोई, आसान तेरे रस्ते, ही कर जाता !
भ्रम है,  तेरी "ना " पर कोई, जान तेरी तंग, ही कर जाता !
" हाँ " पर, कंधे झुका, मुँह लटका, जाने कितनी हाँ खड़ी है !
"ना " खौलाता खूं , खुले आखें, दिमाग, खुद पर आस बड़ी है!
 
चुनना सोझ समझ , खुद के पैरो से ही, रास्ता तो तेरा कटेगा !
"हाँ " की कितनी अंधेरी गलियां ? क्या तेरा अंधेरा भी हटेगा?
हो "ना" से कुछ कमाल, बेमिसाल मंजिल तय, तो कर जाना !
हाँ, यदि, ना मानें मन ,  तू निश्चित "ना",  ही कर  जाना !
                 " सरोज "
 

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