मेरे हितैषी! आ गए मेरे द्वार ! चलों करें स्वागत सत्कार !
बढ़ा होगा तुम्हारी वाणी का श्रंगार ! जाने हम, पैनी धार !
बता दूं, एक बेचारा ,था हारा ! खुल्ले आम गया मारा !
जो कर गए, न था गंवारा ! चूंकि समय संग गुजारा !
तुम काज अपना संवारने, सब गवाएं ! दंग, देख देख चकराए!
डाले आंखों में आंखें, घंटो बतियाना! दिलो के राज सुलझाना!
हमसे हमारा बन सुध ले जाना! देख मगन मगन मुसकाना !
हैरान था, रंग इंद्रधनुषी देख कर, कैसे जाता यकीन कर !
मुझ में, ज्वालामुखी सा, जो सुलगाया! लावा बहुत बहता पाया !
संयम में जो आते, हमे समय लगा! जाने कैसे थी दशा !
कैसे जाने? दूजो संग पुल बनाए! सबमें थे तुम्हे पाए !
शनै शनै ,सब समझ, थे पाए! लालच थे, तुम्हे भरमाएं !
जीवन फिर भी चल निकला ही! ह्रदय सुमन खिला ही !
अब लो फिर गाते-गुनगुनाते हैं ! स्याह!
भी रंग जाते हैं !
जोड़-गुना करके हमने बनाया है! मुस्काते तुम्हे पाया है।
आ जाओ, चाहे तुम बारम बार! हुए हम है तैयार।
संग खेल, खेल तुम्हरा न पाएंगे। हृदय काला कर जाएंगे ?
मेरे हितेषी! जो आओ मेरे द्वार! करेगें हम स्वागत सत्कार !
इस बार, फिर भी ही भरमा जाओगे! फिर झांसों में लाओगे !
संभल स्वयं ही हम जायेंगे! निकटता उतनी हीं निभाएंगे !
तुम मुस्काओं ढंग रंग अपने संग! क्या जाएंगे हम बन ?
गैरों सा ही हक सम्मान करेंगे! जरूर पिछला ध्यान करेगे !
खूब खेलों, न हम, वार करेगें ! खुद को तैयार करेंगे !
तुम चहक चहक मुस्काओं आओ जाओ ! स्वागत सत्कार बस पाओ।
मेंरे हितैषी आ ही गए द्वार, करने फिर अंखियां चार!
मेरे हितैषी खूब चाहे आओ जाओ , बारम बार स्वागत पाओ!
मेरे हितैषी, खुल्ले है मेरे द्वार। बताओ क्या है दरकार !
मेरे हितैषी, कौन सा बेमिसाल जाल, चलो दिखाओ करतब कमाल!
"सरोज"