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Tuesday, January 24, 2023

ऋतुपति






ऋतुपति


हे ,विमल ,वासंती विप्लव ! तिमिर को तार ,
तुम आए !

स्वच्छंद, स्वतंत्र स्फूर्ति से,घनघोर घटा के,
 पार तुम आए !

नव पल्लव, नव कुसुम,नूतन, नवीन,
 धरा धार तुम आए !

स्वागत सत्कार, झंझावातों से ,शुभ-सुभग, 
साकार तुम लाए ! 

कलरव करते  मिलिंद, शकुंत, सारिका, 
साथ तुम लाए !

मेहप्रिय के नृत्य, इंद्रधनुषी आभा अद्वितीय, 
संग सारंग लाए !




"सरोज "




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