Saroj Gautam
लाल लेखनी लिखे, लो , काल के कपाल कल । आज धरा को चीर कर, बीज बोना होके सबल । खूं में तैरता तेरे, पूरा उबाल होना चाहिए। उच्छले किस्मताई सिकका, जब जोश जड़ा होश पूरा होना चाहिए । ' सरोज '
मुख पृष्ठ (HOME)