ना झटपट झूट झांकते, ना दे दिखाई नयन नीर ।
न दूं दुहाई ,क्यों कोई सफाई , मेरी पीड़ा मेरे पीर ।
न समय सही है, काम कई है , मुझको तो निपटाने ।
मुझको मेरा पथ, पथ्य पता है, तू तेरा सत्य कथ्य जाने !
हास में परिहास में, अट्टाहसों के अहसास में,
कई कहीं मरे हैं, कई कहीं गढ़ें है, तेरे इतिहास में !
हां चढ़ते को जरूर, तू तेरा करता नमन है ।
तेरी सुध लू ? मेरे सर बीड़ा मेरे कामों का क्या कम है !
ललचाएगा तू भरमाएगा तू ,जाने कैसे कैसे इतराएगा ।
न रातों को नींद लगी है, फिर दिन का सुकुन भी जाएगा ।
तेरे चक्कर में पड़कर, इमान न मेरा डगमगाएगा।
इसमे ना लाग लपेट है, मेरा चेहरा बतलाएगा ।
' सरोज '