जिसमें है उन्मुक्त , उन्माद बहुत !
जिसमें है अवरोध, अपवाद बहुत !
वही समर - साधना का ध्योतक !
वही नापे घाटियों को शिखर तक !
नीरसता ही तो दे रस का हिसाब !
कड़वाहट ही दे मीठे को अहसास !
समृद्धि से सुख, सौभाग्य, मित्र !
प्रतिकूलता में निखरते सिर्फ दृढ़ !
त्रासदी में अनुभव अमुल्य आते !
तूफां में चट्टानों से, जो डट जाते !
संकटो के सागर वही तर जाते !
दुश्मन ,दुःख, दुर्भाग्य ही सीखाते !
पंगु पशु गूंगा न, डरे कहाँ सिंह गर्जना !
अतुल आत्मविश्वास ,कर्म,श्रम ,क्षमता !
करें प्रतिकूल परिस्थितियों का स्वामित्व !
तभी संभव संघर्ष , अधिकृत आधिपत्य !
" सरोज "