बदस्तूर बाहर बहुत सन्नाटा किन्तु सनसनी अन्तर्मन् शोर मचाएगी ।
कोई कितने कतरने पंख आए , हदें हौसलों की खुद ब खुद खुल जाएंगी ।
दाव पेच कितने लगा ले, कोई कठपुतलियां कितनी नचा ले।
सबका सिद्ध समय की कसौटी, कच्चा चिट्ठा कर जाएगी ।
'सरोज'