तेरे संग साथ!
ओह ! तुम ही हां, सब जमाए हो,
सब जाने, अपने हाथो, सब लाए हो !
तुम खुश कभी, रह भी पाते हो ,
अकेले अकेले कभी, थक ना जाते हो?
सिर्फ अपनी करे जाना, और बात है,
संग साथ लेकर चलाना, और बात है,
कैसे हो सकती , ये एक समान है,
हमेशा ही मनवाना, कहां की शान है?
राग अलाप, खुद मगन हुए जाते हो ,
हम भी नाचे, इतना क्यों इतराते हो !
मान ही जाएंगें ,खुद पर इतना एतबार?
क्यों चले तेरा, कायदा कानून हर बार?
पगले वो , जो संग मरे जा रहे ?
हां में हां मिला, बलवा मचा रहे !
पसंदीदा चुन चुन , संग संग जमा रहें !
दशकों किया इंतजाम, अब ईनाम पा रहें !
उन्हे देख उन्ही सा हाल ,हो चाहते,
शुरू हो भी पाए वैसा , कर पाते,
तर्क में , हां, कुछ गलत बिठाए हो !
संग में ,अकेले ,जीने चले आए हो !
तुम्हारी आंखों में , क्यों पट्टी बंधी है?
राह सामने खड़ी ,पांव बेड़ी पड़ी है?
आज़माइश कि ये, शायद अन्तिम कड़ी है?
राहें रुकती नहीं, मंजिलों पर बढ़ी हैं !
समय की धार को, मुट्ठी में मोड़ना ,गलत,
किसी की हसरतों ,को यों तोड़ना ,गलत,
अपने फैसलों पर, मूंह यों मोड़ना , गलत,
गलतियों पर गलतियां, यों जोड़ना, गलत,
इतनी गलतियां हुजूर,कोई क्यों ही निभाएं?
इतना ही नहीं ,चाहते उस पर मुस्काएं,
अपना काट कालेजा तुम ,पत्थर भरें हो!
उम्मीद हमसे भी , ये ही करें हों,
काट कालेजा, हां , पत्थर ही भरें हो!
काहे अड़े हो ? जनाब , काहे अड़े हो?
"सरोज"
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