ना झटपट झूट झांकते, ना दे दिखाई नयन नीर ।
न दूं दुहाई ,क्यों कोई सफाई , मेरी पीड़ा मेरे पीर ।
न समय सही है, काम कई है , मुझको तो निपटाने ।
मुझको मेरा पथ, पथ्य पता है, तू तेरा सत्य कथ्य जाने !
हास में परिहास में, अट्टाहसों के अहसास में,
कई कहीं मरे हैं, कई कहीं गढ़ें है, तेरे इतिहास में !
हां चढ़ते को जरूर, तू तेरा करता नमन है ।
तेरी सुध लू ? मेरे सर बीड़ा मेरे कामों का क्या कम है !
ललचाएगा तू भरमाएगा तू ,जाने कैसे कैसे इतराएगा ।
न रातों को नींद लगी है, फिर दिन का सुकुन भी जाएगा ।
तेरे चक्कर में पड़कर, इमान न मेरा डगमगाएगा।
इसमे ना लाग लपेट है, मेरा चेहरा बतलाएगा ।
' सरोज '
Keep writing beautiful words
ReplyDeleteBahut umda
ReplyDeleteSahi kahe hai
ReplyDeleteआपकी हिन्दी बहुत बडिया है
ReplyDeleteअच्छी पंक्तियां है
ReplyDeleteसब अपना अपना काम यदि पूरे मन से सोच समझ कर करे तो ये देश अपने आप तरक्की की राह पर चल निकले गा
ReplyDeleteसही कहा है इधर उधर की लगाने की जगह, इंसान कुछ काम कर ले तो वह सक्षम हो जाए ।
ReplyDeleteलोगो को दूसरो की टांग खीचने का समय बहुत होता र्है
ReplyDeleteएक एक करके काफिला जमां हो जाता है
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