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Monday, November 6, 2023

मुस्कुराहटें

मुस्कुराहटें

 

दर्द का दरिया गुजरे वक्त हुआ,

 मुस्कुराहटों पर सायों की अभी कमी थी।

बक्श भी दो इनको, कहीं ये ही ना कह बैठे,

करने वालों ने कभी इनायत की ही नहीं।

 

दर्द का दरिया गुजरे वक्त हुआ,

जो मुस्कुराहटें अब भी खिली सी हुई,

इनको मत देखो अचरज से,

ये तो हैं, दर्द की निशानी, किस्मत की लिखी हुई।

 

बक्श भी दो इनको अब तो अगर,

हर  किस्से का दर्द , हां , संजोकर,

सहज नहींपलके भर भर भिगो कर,

बमुश्किल सही ,पाई है अपने दम पर

 

सरोज

 

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