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Friday, September 15, 2023

सफ़र ए सच


बुराई,    भरमाएगी जनाब ए  आली,
हर चौराहे,    पर चाहे खाएगी गाली,
अंखियों के कौरों में,आ छुप जाएगी,
अंजाने आपकी,  प्रिय सी हो जायेगी,
तहज़ीब तो धरी की धरी रह जाएगी!

हमेशा,   परहेज रहेगा अच्छाई से,
हरगिज,     पहले तो डुबो जाएगी,
खुद को,  कुंदन करना सिखाएगी!
यकींनन यों,    रात दिन जलाएगी,
रूह को थरथर्राएगी कपकपाएगी!

खुद ही,   नज़र अंदाज कर जाओगे,
छोटे छोटे लालचो में बहक जाओगे, 
हर ओर नाटक ही नाटक तो पाओगे,
कितने मुखौटो में खुद को छिपाओगे,
आने वाली नस्ल को क्या सिखाओगे!

हसरते ,      हर शख्स पर भारी है,
बुराई से अच्छाई का सफर जारी है,
आप पर है, कितना तय कर पाओगे,
क्या कह कह ,  खुद को भरमाओगे,
क्या लेकर आए क्या लेकर जाओगे!

"सरोज"

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"हिमालय"